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BS7 (bharat stage 7) क्या है और कब से लागू होगा जानिए नयी अपडेट

अब कार के Exhaust से धुंआ नहीं बल्कि ऑक्सीज़न निकलेगा, जी हाँ ये में नहीं कह रहा हूँ बल्कि ऐसा कुछ हमारी सरकार करना चाहती है। गाड़ियों से होने वाले पोलुशन को कण्ट्रोल करने के लिए अब भारत स्टेज 7 यानि की बीएस 7 बहुत जल्द ही इंडिया में लागू होने वाला है।तो बीएस 7 को लेकर लोगो के कई सारे सवाल है जैसे की बीएस 7 आखिर है क्या ? , बीएस 6 और बीएस 7 नॉम्स में क्या अंतर ?, बीएस 7 के फायदे और नुकशान और  बीएस 7 इंडिया में कब से लागू होगा ?  तो आपके इन्हें सभी सवालों का जवाब मिलेगा आज की इस आर्टिकल में तो लास्ट तक से जरूर पढ़े।

सरकार ने कंपनियों के बीएस 7 के लिए तैयार रहने को कहा

हाल ही में इंडिया के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर Mrs नितिन गटकारी ने सभी ऑटोमोबिल कंपनियों को बीएस 7 के लिए तैयार रहने को कहा है। और खासकर डीजल गाड़ियों को बय बाय करने को कहा है।  डीजल के बदले cng, एथोनाल, हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बनाने की सलाह दी है।  इससे साफ है  की सरकार बीएस 7 के लिए काफी सीरियस है। बीएस 7 जल्दी ही भारत में लागू हो सकता है।

तो आखिर ये बीएस 7 क्या है ?

बीएस 7 का पूरा नाम है भारत स्टेज 7, भारत स्टेज को पहली बार सन 2000 introduce किया गया। इसका main उदेश्य था गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कण्ट्रोल करना।  इसके हर स्टेज में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कण्ट्रोल करने के लिए Central Pollution Control Board (CPCB) दवारा कुछ स्टैंडर्ड पैरामीटर सेट किये जाते है जिनको सभी व्हीकल manufacture कंपनी को फॉलो करना पड़ता है। हालाँकि bharat stage emission के सभी रूल्स और standards मोस्टली  euro emission standards से इंस्पॉयर रहता है।

  • सबसे पहले सन 2000 हजार में बीएस यानि की भारत स्टेज को इंट्रोडस किया गया था। इसको भारत स्टेज 1 कहा जाता है। 
  • इसके बाद 2001 से 2004 तक में बीएस 2 को लागू किया गया।
  • 2005 से 2010 तक बीएस 3 को लागू किया गया।
  • 2010 से 2020 तक 3 अलग अलग चरण में बीएस 4 को लागू किया गया।
  • बीएस 5 के नॉम्स में ज़्यदा मेजर changes नहीं थे इसलिए डायरेक्ट बीएस 6 को 2020 से लागू किया गया। और अब सरकार तैयारी में है बीएस 7 लागू करने की। 

तो चलिए अब जानते है बीएस 6 जो की अभी चल रहा है और बीएस 7 जो की इन फ्यूचर में लागू होने वाला है इनमे  क्या डिफ्रेंस रहने वाला है।  

बीएस 6 vs बीएस 7 में अंतर

दोस्तों  गाड़ियों से होने वाला एयर पोलुशन केवल गाड़ी के इंजन से निकलने वाले एक्सहोस्ट गैस के कारण ही नहीं बल्कि गाड़ी के टायर घिसने के कारण , ब्रेक डस्ट और इलेक्ट्रिक कार की बैटरी बनाने की प्रोसेस से भी air प्रदूषण होता है। अभी तक बीएस 1 से लेकर बीएस 6 तक केवल इंजन से निकलने वाले हार्मफुल गैस से होने वाले प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए नॉम्स बनाये गए थे। इनका इफ़ेक्ट ज़्यदातर गाड़ियां के इंजन पर ही होता था।  लेकिन बीएस 7 में इंजन से निकलने वाली हार्मफुल गैसस को कण्ट्रोल करने और  कार के टायर और ब्रेक से निकलने वाले particulate matter और मइक्रोप्लास्टिक को मिमिमम करने पर जोर दिया जायेगा। इसके अलावा इलेक्ट्रिक कार की बैटरी की durability बढ़ाने के लिए कंपनियों को काम करना पड़ेगा। 

तो बीएस 7 का असर पेट्रोल डीजल से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर भी पड़ने वाला है।  लेकिन बीएस 7 में सबसे  बड़ा challenge डीजल इंजन के लिए होने वाला है क्यूंकि अभी तक  पेट्रोल और डीजल दोनों टाइप के इंजन के लिए अलग अलग एम्मिशन नॉम्स बनाये जाते थे। जैसे की  example के लिए बीएस 6 में पेट्रोल इंजन के लिए नाइट्रोजन ऑक्साइड की लिमिट है 60mg/km , और डीजल इंजन के लिए है 80mg/km रखी गयी है।  लेकिन बीएस 7 लागू होने के बाद पेट्रोल और डीजल दोनों के लिए सेम एम्मिशन नॉम फॉलो किया जायेगा। और यह डीजल इंजन में अचीव करना कंपनियों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। 

बीएस 7 के फायदे और नुकशान

  • बीएस 7 का पॉजिटिव असर ओवरऑल एनवायरनमेंट पर पड़ेगा। लगभग 20 से 30%एयर पॉल्यूशन गाड़ी से निकलने वाले हार्मफुल गैस के कारण होता है तो बीएस 7 लागू होने के बाद कुछ हद तक एयर पॉल्यूशन कंट्रोल को कण्ट्रोल किया जा सकेगा।
  • दूसरा इसका फायदा होगा व्हीकल मैन्युफैक्चर कंपनियों को,  जी हां दोस्तों ,अभी तक इंडिया एम्मिशन कण्ट्रोल के मामले में यूरोपियन देशो से पीछे रहता था जैसे यूरोपियन देशो में euro 6 को 2014 से ही लागू कर दिया गया था लेकिन इंडिया में इसे 2018 से लागू किया गया। लेकिन अब भारत सरकार bs7 को यूरोपियन देशो के साथ ही इंडिया में लागू करने का प्लान कर रही है। 

इससे इंडियन एमिशन नॉर्म्स और यूरोपीय एमिशन नॉर्म्स एक दूसरे से align  हो जाएंगे। इसकी वजह से  इंडियन ऑटोमोबाइल कंपनियां फॉरेन कंट्री में भी अपनी व्हीकल को बेच सकती है। 

बीएस 7 के नुकशान 

  • बीएस 7 का सबसे ज्य्दा bura असर आम लोगो की जेब पर, क्यूंकि बीएस 7 इम्प्लीमेंट करने के लिए नयी टेक्नोलॉजी और कई नए पार्ट गाड़ियों में यूज़ किया जायेगा इसकी वजह से ओवरआल कार का प्राइस बढ़ेगा। Average 1 से 2 लाख रूपए तक गाड़ियों की कीमत बढ़ सकती है। 
  • दूसरा इसका असर देखने को मिलेगा डीज़ल engine wali कार्स पर, बीएस 7 के emission स्टैंडर्ड को अचीव करने के लिए रिसर्च एन्ड डेवलपमेंट में कंपनियों का काफी पैसा और टाइम लगेगा। हो सकता है इंडिया की कुछ भोकाल गाड़ियां जैसे टोयोटा fortuner, स्कार्पियो जिनमे डीज़ल इंजन मिलता है इनका प्रोडक्शन हमेशा के लिए बंद करना पड़े। या फिर इनको डीजल इंजन से पेट्रोल इंजन या इलेक्ट्रिक में शिफ्ट कर दे।  

इंडिया में बीएस 7 कब लागू होगा

अब अगला सवाल आता है कि आखिर कब तक bs7 इंडिया में लागू हो सकता है तो दोस्तों भारत सरकार द्वारा bs7 को लेकर कोई भी फाइनल टाइम लाइन अभी तक नहीं दी गयी है। सरकार ने कंपनियों को bs7 के लिए तैयार रहने को कहा है। हालाँकि यूरोपियन देशो में जुलाई 2025 से यूरो 7 लागू हो जायेगा।  हो सकता है 2025 से इंडिया में भी बीएस 7 अलग अलग चरणों में लागू हो। लेकिन bs7 को इंप्लीमेंट करना इतना आसान नहीं है। इसी वजह से यूरोपियन नेशन की कई सारी कंपनियां यूरो 7 का विरोध कर रही है। आपका बीएस 7 को लेकर क्या विचार है नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।

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